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Tuesday, 16 September 2008

प्यार में सब बातें बतायी नहीं जाती,
खामोशी भी बहुत कुछ बयाँ कर जाती है
मेरी खामोशी ने तुम्हें जो सजा सुनाई है,
उससे कईं ज्यादा सजा मैंने भुगती है

कहते हो अपने गिरेबाँ में झाँकने के लिए,
और कुसूरवार हमें ही ठहराते हो
जानकर कभी अन्जान नहीं बना तेरी चाहत से,
मगर कोई और मजबूर था तुम्हारे लिए

जो खामोशी समझ ना सके तुम,
वक्त जो बरबाद कर चुके तुम
इस रंगीन फिजा ऐ मौसम में,
बेकाबू दिल को काबू न कर सके तुम

जानते हो, मानते हो की सब तकदीर का खेल है,
मगर रुसवा हमें करने से बाज़ नहीं आते हो
माना के तकदीर के साथ हम भी थे,
मगर तकदीर हमारे साथ तो नहीं था

अगर तकदीर ने हमारा साथ दिया होता,
तो आज यह मौसम बदला हुआ होता
न तुम हमें रुसवा करते,
न कुछ गीला शिक़वा होता

कहते हो की शिकायत नहीं है कुछ हमसे,
मगर आंसू छलकते हैं तुम्हारे इतनी सी बात से,
प्यार का सच्चा मतलब अगर जानते,
अश्कोंका साथ छोड़ कर जिन्दगी में आगे चलते

...सुधीर

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